Friday, January 22, 2016

वतन

न जाने क्यों तुझसे इतनी मोहब्बत हुई वतन |
शब  हो या सुबह दिखता है बस तू ही तू ही वतन ||

इक दिन ढूूंढने निकला तुझे जब घर से बाहर  मैं |
कहा कुछ खेलते बच्चो ने हंसकर है हमी वतन ||

नादाँ  हैं जिन्हे दिखती हैं कुछ भी खामियां तुझमे |
हमे तो इल्म है हम में ही कुछ कमी रही वतन ||

अपनी हर दुआ में बस तेरी सलामती मांगू |
ये पूजा है तेरी खातिर , इबादत भी तेरी वतन ||