Sunday, July 10, 2022

बकरीद मुबारक

कबीर कुछ दिनों पहले ही एक मासूम बच्चे को घर ले आया और तब से बड़े ही प्यार से उसकी देखभाल की। इसमें उसके बड़े बेटे अमन ने भी बखूबी साथ दिया, जो कि महज़ आठ साल का था। कबीर भी यही चाहता था कि अमन के दिल में इस बेजुबान के लिए प्यार और लगाव पनपे और हुआ भी ऐसा ही।

फिर आज तड़के से ही पूरे माहौल में एक गर्मजोशी थी। घर के आंगन में सबको इकठ्ठा किया गया और बीच में खड़ा था अमन और उसके सामने वो मासूम, बेजुबान और उन दोनों के बीच में थी एक चमकती हुई धारदार चाकू। देखते ही देखते अमन ने उस बेगुनाह की उसी गर्दन को धड़ से अलग कर दिया जिसपर पिछले कुछ दिनों से हर सुबह वह हाथ फेरना न भूलता था। सब एक आवाज में बोल उठे "बिस्मिलाही वल्लाह हु अकबर, अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन अमन" । 

अपने अजीजों की दुआवो में अपना नाम सुनते ही अमन की छोटी सी छाती चौड़ी हो गई। वो अब सबक ले चुका था कि जरूरत पड़ने पर किसी मासूम, बेजुबान या बेगुनाह को भी मौत के घाट कैसे उतारा जाता है। कैसे किसी के लिए पल रही एक दम ताजातरीन मोहब्बत, जो कि बहुत मजबूत होती है, उसे भी दरकिनार कर देना चाहिए। दुनिया की नज़र में एक त्योहार था लेकिन अमन को ट्रेनिंग मिल चुकी थी।

खैर, बकरीद मुबारक!

Friday, June 10, 2022

अपच

खान पान इतना अव्यवस्थित हो गया है कि अपच एक आम बीमारी के रूप में डिमोट हो गई है। लेकिन क्या बता सकते हैं कि पचाने के लिहाज से सबसे क्लिष्ट क्या है? तेल, घी, मसाले, मिर्च, मांस या मदिरा ?

जी नहीं, सफलता!!!

असफलता को सहना जितना मुश्किल है उससे कहीं अधिक दुर्गम है कामयाबी को दिल और दिमाग तक ही रहने देना। सर चढ़ कर बोलने को अमादा रहती है ये। इससे अधिक खतरनाक है कि ये जठराग्नि जाने क्या क्या जला कर राख कर देती है - संस्कार, व्यवहार, परिवार इत्यादि। हमे खुद तो इसका पता नहीं चलता और मजाल कि हम जैसे कामयाबी के नवीनो को कोई और आइना दिखा सके।


अपनी मंज़िल पे पहुँचना भी खड़े रहना भी 

कितना मुश्किल है बड़े हो के बड़े रहना भी 


Tuesday, May 3, 2022

आदत और फितरत

एक गिलहरी थी जिसे पेड़ पर चढ़ने में महारत हासिल थी। अब इसमें क्या अजीब बात है! नहीं, अजीब ये हुआ कि उसे एक चिड़िया से प्यार हो गया। तो आदतन नहीं बल्कि शौकिया रूप से वो गिलहरी उड़ने लगी। उसके साथ की गिलहरियों ने, यहां तक कि उस चिड़िया ने भी बहुत समझाया लेकिन आशिकी का जिन्न जो न करवाए वो कम। 

अब इस चिड़िया को भी अपनी गिल्लो का पेड़ पर चढ़ना अखरने और उड़ना भाने लगा। धीरे धीरे गिलहरी का शौक आदत और आदत फितरत में तब्दील हो गई। गिलहरी ने अपनी पहचान और अस्तित्व को धुएं में उड़ा दिया। उपलब्धि के नाम पर लोगों ने उसे फ्लाइंग स्क्विरल (उड़ती गिलहरी) नाम दे दिया बस।

Sunday, May 1, 2022

संदेश और सच्चाई

झूठ बोलना गलत है, दूसरों की भलाई करनी चाहिए इत्यादि न जाने कितने ज्ञान की घुट्टियां पीते आ रहे हैं हम जन्म से लेकर आजतक।

ये घुट्टियाँ पीते सब हैं लेकिन निगलते बहुत कम लोग हैं, और जो निगल जाते हैं उनसे पूछिए असल में कितनी कड़वी और बदस्वाद होती हैं ये...... चार लोग तीन दिन तक वाह वाही कर देते हैं, लेकिन इनका दंश जीवन पर्यंत खुद झेलना पड़ता है।

इन संदेशों को गलत कह दूं इतनी अपनी औकात कहां! किंतु इतना कहने से तो कोई नहीं रोक सकता कि ये संदेश और आदर्शवादी बातें नमक के जैसी होती हैं : जरूरी हैं, लेकिन स्वादानुसार। सबको अपने सत्य के औसत में ही संदेश की सीरप गटकनी चाहिए।