Sunday, May 1, 2022

संदेश और सच्चाई

झूठ बोलना गलत है, दूसरों की भलाई करनी चाहिए इत्यादि न जाने कितने ज्ञान की घुट्टियां पीते आ रहे हैं हम जन्म से लेकर आजतक।

ये घुट्टियाँ पीते सब हैं लेकिन निगलते बहुत कम लोग हैं, और जो निगल जाते हैं उनसे पूछिए असल में कितनी कड़वी और बदस्वाद होती हैं ये...... चार लोग तीन दिन तक वाह वाही कर देते हैं, लेकिन इनका दंश जीवन पर्यंत खुद झेलना पड़ता है।

इन संदेशों को गलत कह दूं इतनी अपनी औकात कहां! किंतु इतना कहने से तो कोई नहीं रोक सकता कि ये संदेश और आदर्शवादी बातें नमक के जैसी होती हैं : जरूरी हैं, लेकिन स्वादानुसार। सबको अपने सत्य के औसत में ही संदेश की सीरप गटकनी चाहिए। 


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