Saturday, December 26, 2015

कुछ सूखे पत्ते ...



कभी हम दिल की धड़कन थे, आज तुम पास न आई ,
वजह इस बेवफ़ाई की समझ कुछ ख़ास न आई !
क़यामत तक गिला न कर सकेंगे फिर भी हम तुझसे,
मुक़द्दर ही को अपनी ये  मुहब्बत रास न आई !!

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